कड़ाके की सर्दी पारा शून्य डिगरी कश्मीर मे गश्त के दौरान सैनिको की टुकड़ी पहाड़ी रास्ते से गुजर रही थी, उनका कमाण्डर भी साथ था. रास्ता बेहद कठिन और अंधेंरा हो चुका था.अब तो सैनिको का साहस भी जवाब दे रहा था. कुछ दुर चलते ही एक चाय की दुकान दिखी पर वो बंद थी. सब ने थकी आँखो से कमाण्डर की तरफ देखा. कमाण्डर को समझ आ गया की सब चाय पीना चाहते है.
तभी कमाण्डर ने आदेश दिया हम कुछ समय केे लिय यही आराम करेगें. और सब वही पर बैठ गऐ. फिर एक ने कहा यार अगर चाय मिल जाती इस ठंड मे तो मजा आ जाता. कमाण्डर समझ गऐ की सैनिक चाय पीने की इच्छा जता पर है.
तभी कमाण्डर ने कहा पर ताला तो बंद है चाय कैसे पियेगें. साब जी ताला तोड़ देते है एक सैनिक ने कहा वैसे भी हम इन्ही लोगो की हिफाजत करते है. एक कप चाय तो बनती है इतना तो हमारा हक बनता है वैसे भी हमे कौन सी दुकान लुटनी है. इतना कह के ताला तोड़ दिया गया. सब ने चाय बिस्किट खाऐ और चल पड़े अपने रस्ते. पर कमाण्डर ने जाते-जाते 1००० का नोट टेबल पर रख दिया!
सुबह जब दुकानदार ने देखा ताला टुटा हुआ है तो बोला हे भगवान एक तो वैसे भी मेरे पास बच्चे के इलाज के पैसे नही है उपर से दुकान भी लुटवा दी. वह घबराता हुआ अंदर गया सामान तो सब ठीक था बस बिस्किट कम थे. हाथ सर पे रख के टेबल पे बैठा ही था की १००० का नोट दिखाई पडा़. वह खुशी से झूम उठा.
जब सैनिको का जत्था वापिस आया तो उसी दुकान पे चाय के लिये रूके! दुकानदार ने गाना गाते हुऐ चाय सब को दी एक सैनिक ने सोचा रात को इसकी दुकान पर खूब दावत उडा़ई गई और ये ऐसे झूम रहा है जैसे कुछ हुआ ही नही यह सोच उसने दुकानदार से पुछ ही लिया चाचा बहुत खुश लग रहे क्या बात है हमे भी बताओ.
इस पर दुकानदार हँसते हुऐ बोला क्या बताऊ साहेब कल रात मेरी दुकान पर भगवान आऐ थे यह सुनते ही सब की निगाहे दुकानदार पे जा टिकी, भगवान सैनिक ने बड़ी हैरानी से पुछा ! हॉ भगवान बात दरअसल यू है की मेरा बेटा बीमार है मेरे पास इलाज के पैसे नही थे . बहुत कोशीश करने के बावजुद कही से भी पैसो का इंतजाम न हुआ तो सोचा की क्यो ना दुकान का सामान बेच कर बेटे का इलाज करवा लूँ वैसे भी औलाद के बिना भी जी कर क्या करता मेरा इस दुनिया मे उसके सीवाय है कौन? आज जब मै दुकान पर आया तो ताला टुटा मीला पहले तो लगा की दुकान लुट गई है मेरे बेटे का क्या होगा फिर अंदर आ़या तो देखा भगवान ने बैठ कर चाय और बिस्किट खाऐ और १००० ₹ का नोट रख कर चले गऐ! शायद उनको पता था कि मुझे हजार रु की जरूरत है अपने बेटे के इलाज के लिये.
दुकानदार की यह बात सुन के सब सैनिक कमाण्डर की तरफ देखने लगे और कमाण्डर की खामौश झुकी आँखो ने जैसे सब को आदेश दे दिया हो किसी का अटुट विश्वास भगवान पे बना रहने मे ही भलाई ह अंत: सबने अपनी- अपनी चाय खत्म की और अपने रस्ते चलते बने.
...दोस्तो कई बार हमारे द्वारा की गई छोटी सी मदद किसी की जिन्दगी मे बदलाव ला देती है. हम चाहे इसे ना महसूस कर पाऐ पर जिसकी मदद की जाती है वो हमेशा आभारी होता है और वैसे भी भगवान खुद नही आते किसी की मदद करने वो अपने प्यारे लोगो को यह जिम्मां दे देते है. इसलिये दोस्तो जहां मौका मीले मदद के लिये हाथ आगे बढ़ा दो क्योकि क्या पता किस काम के लिये भगवान आप को चुन ले...
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